एक प्यारी सी बच्ची अपने मम्मी के पास दौड़ती हुई आती है, सारा जग चौंक जाता है उस बच्ची की मम्मी को देखकर. अब तक सबको यही लग रहा था की मम्मी एक स्टूडेंट है. फिर साबुन को सारा श्रेय दिया जाता है मम्मी के जवां दिखने का. एक क्रीम का विज्ञापन दिखाते हैं, बिचारी महिला अपनी त्वचा से परेशान है, उम्र झलकने लगी है! क्रीम के कुछ दिनों के इस्तेमाल से ही उसकी त्वचा और पति की आँखों में चमक आ जाती है!
जानते है विज्ञापन की उन महिलाओं की उम्र कितनी होगी? मुश्किल से २५-२६. अरे उस उम्र में तो खूबसूरती वैसे ही अपने चरम पर होती है. विज्ञापन बनाने वालों में दम है तो हम जैसी ४० पार कर चुकी “असली” महिलाओं को लेकर दिखाए! आप बोलेंगे की काफी ४० पार कर चुकी अभिनेत्रियां भी यह विज्ञापन करती है, पर हम सब जानते हैं की अभिनेत्रियां अपनी खूबसूरती बरक़रार रखने के लिए और भी बहुत कुछ करती हैं! भाई हमारे पास न उतना पैसा है न समय..
हम जैसी आम औरतें, जो घर-बहार का काम, बच्चों को संभालना, अपनेआप का ख्याल न रखना, हमेशा मल्टीटास्किंग करते रहना करती हैं उन्हें इन विज्ञापनों में लेना चाहिए. हम आम औरतें असली मसलों से जूझती हैं. हमारे चेहरों में बदलाव आता है, जो की बिलकुल नार्मल है. कोई साबुन या क्रीम अगर यह दावा कर दे की दरअसल मैं या मेरी जैसी ४० पार कर चुकी माँ एक संतूर मम्मी है तो कोई बात बनें! शायद साबुन और क्रीम बनाने वालों को डर है की अगर असली औरतों को लेकर विज्ञापन बनाएँगे तो वे बिकेंगी नहीं.
खुली आँखों से मेरा सपना यह है की मेरा बेटा दौड़ते हुए मम्मी, मम्मी पुकारता हुआ आ रहा हो और लोग हैरान हो की यह आपका बेटा है और मैं शरमाते हुए कहूं, “हाँ, यही मेरा बेटा है तो अभी जूनियर कॉलेज में पढ़ता है”..
क्या आप भी हैं मेरी तरह सचमुच की संतूर मम्मी..?